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Can any country deploy nuclear weapons in space Know the rules

Nuclear Weapons in Space: दुनिया में जब भी खतरनाक हथियारों की बात आती है तो परमाणु हथियारों का जिक्र जरूर होता है. परमाणु हथियार पल भर में किसी शहर को पूरी तरह तबाह करने की क्षमता रखते हैं. इतना ही नहीं, इनका रेडिएशन इतना खतरनाक होता है जो लंबे समय तक बना रहता है. दुनिया में जैसे-जैसे ताकतवर देशों के बीच टकराव बढ़ रहा है, परमाणु हमले का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. कई देश तो अंतरिक्ष मे परमाणु हथियारों को तैनात करने की कोशिश में हैं. 

2024 में अमेरिका ने दावा किया था कि रूस अंतरिक्ष स्पेस आधारित एंटी-सैटेलाइट न्यूक्लियर हथियार डेवलप कर रहा है. हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस दावे का खंडन किया था. उन्होंने कहा था कि रूस अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों की तैनाती के सख्त खिलाफ है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि अंतरिक्ष में परमाणु हथियारों की तैनाती क्यों नहीं की जा सकती? इसको लेकर कौन सी संधि है? अगर कोई देश संधि को तोड़ता है तो क्या हो सकता है? 

पृथ्वी की बाहरी कक्षा में हो चुके हैं कई परीक्षण

रूस और अमेरिका के बीच हथियारों की प्रतिस्पर्धा किसी से छिपी नहीं है. ये दोनों देश महाशक्ति बनने के लिए एक से एक खतरनाक परीक्षण करते आए हैं. परमाणु ताकत हासिल करने के बाद दोनों देशों का मकसद अंतरिक्ष में भी अपनी बादशाहत का लोहा मनवाना था, जिसको लेकर 1958 से 1962 के बीच दोनों देश बाहरी वायुमंडल में कई परमाणु परीक्षण कर चुके थे. इन परमाणु परीक्षणों से अंतरिक्ष में बड़े नुकसान की आशंका थी. 

1967 में बनाया गया था नियम

अंतरिक्ष या पृथ्वी की बाहरी कक्षा में परमाणु हथियारों की तैनाती व परमाणु परीक्षणों को रोकने के लिए 1967 में वैश्विक नियम बनाए गए थे. अमेरिका और सोवियत संघ ने इस दौरान ‘आउटर स्पेस ट्रिटी’ पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें तय किया गया था कि कोई भी देश अंतरिक्ष में परमाणु हथियार या ऐसे विस्फोट वाले हथियारों या चीजों की तैनाती नहीं कर सकेगा. इस संधि पर करीब 130 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं. यह संधि अंतरिक्ष या पृथ्वी के चारों और मौजूद कक्षा में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से रोकती है. 

संधि को तोड़ने पर क्या होगा?

अमेरिका ने पिछले साल रूस पर इसी संधि को तोड़ने का आरोप लगाया था, जिसको लेकर मॉस्को की ओर से खंडन जारी किया गया था. अगर इस संधि को कोई देश तोड़ता है तो संयुक्त राष्ट्र में इस मामले की सुनवाई होती है. ऐसा करने वाले देश को अलग-थलग किया जा सकता है, इसके अलावा उस पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं. 

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