5000 km, some 15000 km How is a missile with such a long range tested how is its limit checked

आधुनिक समय में जंग हथगोलों और बंदूकों से अलग निकलकर मिसाइलों तक पहुंच चुकी हैं, जिसमें एक जगह से दुश्मन देश के किसी भी ठिकानों को ध्वस्त कर सकते हैं. हालांकि, दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए मिसाइल की उतनी रेंज भी होना चाहिए. इसी क्षमता को विकसित करने के लिए आज इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल मिसाइल बनाई जा रहे हैं, जिनकी क्षमता 5000 किमी से लेकर 15000 किलोमीटर या फिर उससे अधिक है. ऐसे में सवाल आता है कि किसी मिसाइल का परीक्षण कैसे किया जाता है? कैसे पता चलता है कि यह मिसाइल कितनी रेंज तक मार कर सकती है? चलिए जानते हैं
कैसे चेक होती है रेंज
सबसे पहले जिन मिसाइलों की रेंज 1000 या फिर उससे ज्यादा होती है, उनकी पूरी रेंज पर ज्यादातर परीक्षण नहीं होती है क्योंकि इतने रेंज के परीक्षण की जरूरत नहीं होती. दूसरी बात इतना बड़ा एरिया मिलना मुश्किल होता है. अगर कोई देश टेस्ट भी करता है तो उसको पहले बाकी देशों से इजाजत लेनी होती है, उदाहरण के तौर पर चीन ने एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक के परीक्षण से पहले रास्ते में पड़ने वाले देशों को सूचित कर दिया था. हालांकि, अगर बाकी देश इसको नहीं मानते हैं तो फिर अंतरराष्ट्रीय तनाव हो सकता है, जो चीन के मामले में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ देखने को मिला था.
फिर कैसे पता चलती है रैंज
दरअसल, इन लंबी दूरी की मिसाइलों के परीक्षण के लिए इनको Partial Range तक उड़ा कर देखा जाता है और उसी हिसाब से इसकी गणना होती है कि यह मिसाइल कितने रेंज तक की दूरी को हिट कर सकती है. इसके अलावा मिसाइलों का परीक्षण बहुत ऊंची ऊंचाई पर भेज कर भी किया जाता है, जिससे वह कम दूरी पर जाकर गिरे, लेकिन उस दौरान उतनी ही ऊर्जा खर्च करे जितनी वह पूरी रेंज में करती. ऐसे परीक्षणों के लिए प्रत्येक देश के पास एक निर्धारित परीक्षण क्षेत्र होता है, जहां मिसाइल का गिरना तय होता है और कोई नुकसान नहीं होता. इन मिसाइलों के सफलता के को चेक करने के लिए सेंसर, GPS और रडार से हर स्टेज का डेटा रियल टाइम ट्रैक किया जाता है.
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