Breaking News

World Day Against Child Labour Which countries have highest child labour rates where does India rank

हर साल 12 जून को दुनियाभर में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य बच्चों को बाल श्रम के जाल से मुक्त कराना है. इसके साथ ही बच्चों की अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य लाभ देकर उनका बचपन सुरक्षित करना है. इस दिन को मनाने की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने 2002 में की थी. हालांकि इस संगठन को बने इतने साल होने के बाद भी आज भी बाल मजदूरी एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है.

दुनिया में हर दसवां बच्चा बाल मजदूरी का शिकार

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार आज भी दुनिया में लगभग 160 मिलियन से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी करते हैं. जिसका मतलब है कि दुनिया के हर 10 में से एक बच्चा आज भी बाल मजदूर बना हुआ है. वहीं इस रिपोर्ट के अनुसार इन बच्चों में से कई बच्चे तो खतरनाक कामों में लगे हुए हैं, जहां इनकी जान भी जा सकती है या फिर इन पर शारीरिक और मानसिक तौर पर गहरा असर पड़ सकता है.

इस देश में सबसे ज्यादा बच्चे करते हैं मजदूरी

दुनियाभर में बाल मजदूरी के आंकड़े देखें जाएं तो सबसे ज्यादा मजदूरी बच्चे अफ्रीका क्षेत्र में करते हैं. अफ्रीका में हर चार में से एक बच्चा बाल मजदूरी करता है. यह आंकड़े अमेरिका, कैरिबियन और मध्य पूर्व क्षेत्र की तुलना में काफी ज्यादा है. जहां लगभग यह दर 5 प्रतिशत के आसपास है. अफ्रीका क्षेत्र में लगभग 7.21 करोड़ से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी में जकड़े हुए हैं. वहीं शिया-पैसेफिक में 6.21 करोड़ से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी में जकड़े हुए हैं.

बाल मजदूरी में भारत की स्थिति में हुआ सुधार
बाल मजदूरी में भारत की स्थिति पहले की तुलना में काफी बेहतर हुई है. भारत में 2001 की जनगणना के अनुसार 5 से 14 साल के बाल मजदूरों की संख्या लगभग 1.26 करोड़ थी. यह कुल बाल जनसंख्या का लगभग 5 प्रतिशत था, जो 25.2 करोड़ थी. वहीं 2011 में भारत में बाल मजदूरों की संख्या घटकर 43.53 लाख रह गई थी. 

बाल मजदूरी में भारत किस नंबर पर आता है
कुछ समय पहले एक चाइल्ड लेबर इंडेक्स जारी किया गया था, जिसमें कुल 198 देशों को बाल मजदूरी की स्थिति के आधार पर रैंक दी गई थी. इस इंडेक्स के अनुसार बाल मजदूरी में भारत का स्थान 198 देशों में 47वां आता है. रह रैंकिंग बताती है कि बाल मजदूरी को लेकर भारत की स्थिति अभी भी गंभीर है. लेकिन कुछ देशों के मुकाबले भारत की स्थिति को बेहतर भी कह सकते हैं.

भारत में लॉकडाउन के बाद बढ़े बाल मजदूर

2001 के बाद भारत में बाल मजदूरी में काफी सुधार आया था. लेकिन 2019 में लॉकडाउन के बाद भारत में कई परिवार गरीबी रेखा के नीचे आ गए थे. इसके बाद भारत में एक बार फिर से बाल मजदूरों की संख्या में इजाफा होने लगा. लॉकडाउन के बाद बाल मजदूरी बढ़ने के साथ ही कई परिवारों में पालन पोषण का जिम्मा भी बच्चों पर आ गया था. 

ये भी पढ़ें – भारत में औरतों की लाइफ ज्यादा या पुरुषों की? सामने आ गया दोनों की जिंदगी का अंतर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button