फाइटर जेट में कैसे लगाई जाती है मिसाइल, क्या नट-बोल्ट से की जाती है सेट?

<p style="text-align: justify;">फाइटर जेट यानी लड़ाकू विमान आधुनिक युद्ध तकनीक का सबसे अहम हिस्सा होते हैं. ये हवा में न सिर्फ तेज रफ्तार से उड़ते हैं बल्कि दुश्मन को टारगेट करने में भी सबसे आगे रहते हैं. लेकिन जब इन विमानों की बात होती है, तो एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है, क्या फाइटर जेट में लगने वाली मिसाइलें भी नट-बोल्ट से सेट की जाती हैं? जवाब सीधा है नहीं. यह प्रक्रिया बहुत ही एडवांस, वैज्ञानिक और तकनीकी तरीके से होती है. चलिए, जानते हैं कि कैसे होती है यह प्रक्रिया और कौन इसे करता है.&nbsp;</p>
<h3><strong>कैसे लगती है जेट में मिसाइल</strong></h3>
<p style="text-align: justify;" data-start="710" data-end="1002">फाइटर जेट में मिसाइल या बम जोड़ने की प्रक्रिया को weapon loading या weapon mounting कहा जाता है. इसके लिए विमान के नीचे या पंखों पर बने खास हिस्सों को पाइलन (pylon) या हार्डप्वाइंट (hardpoint) कहा जाता है. ये हार्डप्वाइंट वह जगह होते हैं जहां पर हथियारों को लगाया जाता है. मिसाइल को इन प्वाइंट्स पर माउंट करने के लिए खास तरह की रिलीज मैकेनिज्म (release mechanism) और इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस लगाए जाते हैं. मिसाइल और फाइटर जेट के बीच जो कनेक्शन बनता है, वह सिर्फ फिजिकल नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक भी होता है.</p>
<p style="text-align: justify;" data-start="710" data-end="1002">जिससे पायलट कॉकपिट से मिसाइल को ऑपरेट कर सके. मिसाइल को सिर्फ नट-बोल्ट से कसने जैसा सोचना गलत होगा. नट-बोल्ट का इस्तेमाल कुछ स्थिर हिस्सों को जोड़ने में जरूर होता है, लेकिन हथियारों के लिए जो सिस्टम होता है वह ज्यादा एडवांस होता है. मिसाइल को एक लॉन्च रेल (launcher rail) या लांचर रैक (launcher rack) पर लगाया जाता है. इन रैक्स को इजेक्शन यूनिट्स से जोड़ा जाता है, जो फायरिंग के समय मिसाइल को जेट से बाहर निकालते हैं.&nbsp;</p>
<h3 data-start="710" data-end="1002"><strong>बरतनी होती है सावधानी</strong></h3>
<p style="text-align: justify;" data-start="710" data-end="1002">मिसाइल लोडिंग के दौरान बेहद सावधानी बरती जाती है. यह काम पूरी तरह से ट्रेंड ग्राउंड क्रू के द्वारा किया जाता है, जो हर चीज को कई बार चेक करते हैं. मिसाइल लोड होने के बाद उसकी कनेक्टिविटी और फायरिंग मैकेनिज्म को सिस्टम से टेस्ट किया जाता है. इसके अलावा आजकल आधुनिक फाइटर जेट्स जैसे Rafale, F-35, Sukhoi-30 आदि में स्मार्ट वेपन इंटरफेस सिस्टम होता है, ये सिस्टम खुद यह पहचान लेते हैं कि कौन सी मिसाइल या बम लगे हैं, उनके लिए कौन सी फायरिंग प्रोफाइल एक्टिवेट करनी है और कैसे फायर करना है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;" data-start="710" data-end="1002">इस हिसाब से देखा जाए तो फाइटर जेट में मिसाइल लगाना कोई मेकेनिक द्वारा नट-बोल्ट से जोड़ने वाला काम नहीं है, बल्कि यह एक अत्याधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें मशीन, कंप्यूटर और मानव विशेषज्ञता तीनों की भूमिका होती है.</p>
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