First bank of india is bank of hindostan know why this was shutdown

भारत में इस वक्त बैंकिंग प्रणाली एकदम जोर पर है. देश में सैकड़ों की तादात में बैंक हैं और गली-गली एटीएम खुले हुए हैं. आज के समय में बैंकिंग पर किसी भी छोटे-बड़े देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है. आज के समय में डिजिटल बैंकिंग ने लोगों का काम आसान कर दिया है. आज एक क्लिक में लोगों के लिए पैसों का लेनदेन संभव है. लेकिन क्या आपको पता है कि देश में बैंकिंग की शुरुआत कैसे हुई और भारत का पहले बैंक कौन सा है. चलिए इस बारे में विस्तार से जानते हैं. 

बैंकिंग प्रणाली कैसे शुरू हुई

ऐसा कहा जाता है कि 2000 ई.पू. से दुनिया में बैंकिंग प्रणाली शुरू हो चुकी थी. लेकिनयह आज के बैंक की तरह बिल्कुल नहीं था. उस वक्त पैसे के उधार लेन-देन की प्रक्रिया थी. दरअसल पहले के समय में बार्टर सिस्टम चलता था, जहां पर लोग पैसों का लेन-देन नहीं करते थे. बल्कि यहां पर सामान के जरिए एक-दूसरे की मदद की जाती थी. बाद में यह सिलसिला बदला और सोने के सिक्कों के जरिए व्यापार का लेन-देन शुरू हुआ.

भारत का पहला बैंक कौन सा और इस पर ताला क्यों लगा

भारत के पहले बैंक की बात की जाए तो यहां भी बैंकिंग का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. देश का पहला बैंक ‘बैंक ऑफ हिंदोस्तान’ है. इसको 1770 में स्थापित किया गया था. एलेक्जेंडर एंड कंपनी ने इसकी शुरुआत की थी. यह कोलकाता की एक अंग्रेजी एजेंसी थी, जिसने कि इस बैंक को 50 साल तक चलाया था. लेकिन बाद में बैंक की वित्तीय स्थिति गड़बड़ाने लगी तो मुख्य फर्म मेसर्स एलेक्जेंडर एंड कंपनी 1832 में वित्तीय संकट में फंस गई. इसके बाद से ही इस बैंक पर ताला लग गया. 

भारतीयों को क्यों नहीं थी इसमें जाने की इजाजत

बैंक ऑफ हिंदोस्तान को ब्रिटिश कंपनियों ने उनको वित्तीय सहायता के लिए शुरू किया था. दरअसल उस वक्त अंग्रेजों का शासन हुआ करता था. तब यह बैंक आम भारतीयों के लिए नहीं था. तब यह ब्रिटिश व्यापक संस्थाओं के लिए काम करता था. उस दौर में भारतीय जनता की बैंकिंग को लेकर सोच और समझ उतनी विकसित नहीं थी. लेकिन फिर भी इसे ही बैंकिंग प्रणाली की दिशा में पहला कदम माना जाता है.

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