Iran Israel War In the 10 day war Iran suffered more losses or Israel

13 जून को इजरायल ने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लायन की शुरूआत की थी, जिसको 22 जून तक 10 दिन हो गए. इन 10 दिनों में दोनों देशों ने एक-दूसरे को टारगेट किया है. शुरुआती दिनों में जहां इजरायल ईरान के ऊपर हावी हो रहा तो आखिरी के कुछ दिनों में ईरान ने मिसाइलों के दम पर इजरायल को मुंहतोड़ जवाब दिया है. ईरानी मिसाइलों के हमले को झेलने में इजरायली डिफेंस सिस्टम नाकाम साबित हुए हैं. आइए जानते हैं कि आखिर इन 10 दिनों में कौन-सा देश किस पर भारी रहा और कितना भारी रहा?
ईरान का नुकसान
ईरान और इजरायल के बीच हाल ही में छिड़ी 9 दिनों की जंग ने पश्चिम एशिया की राजनीति और सुरक्षा को हिला कर रख दिया. यह टकराव सिर्फ मिसाइल और ड्रोन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि साइबर अटैक, परमाणु ठिकानों पर हमले और सैन्य कमांड हेडक्वार्टर तक भी पहुंच गया है. इस जंग में सबसे बड़ा नुकसान ईरान को हुआ है. 13 जून को इजरायल ने ‘राइजिंग लायन’ नाम के एक सीक्रेट ऑपरेशन के तहत ईरान के कई अहम सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में ईरान के नतांज, इस्फहान और अराक जैसे परमाणु केंद्रों को भारी नुकसान हुआ है.
इसके अलावा ईरान के कम से कम 200 से ज्यादा सैनिक, तकनीकी विशेषज्ञ और वरिष्ठ रिवोल्यूशनरी गार्ड अधिकारी मारे गए. इसमें कुछ टॉप वैज्ञानिकों के मारे जाने की भी पुष्टि हुई है. इसके अलावा कई बेस तबाह कर दिए गए और कुछ क्षेत्रों में रेडिएशन लीक की भी बात सामने आई. ईरान की मिसाइल प्रणाली और कमांड कंट्रोल सेंटर भी काफी हद तक निष्क्रिय हो गए.
इजरायल का नुकसान
ईरान ने इजरायल पर 1,000 से ज्यादा ड्रोन और 450 मिसाइलें दागे. इनमें से अधिकांश को इजरायल की मजबूत एयर डिफेंस प्रणाली जैसे ‘आयरन डोम’, ‘डैविड्स स्लिंग’ और ‘एरो सिस्टम’ ने हवा में ही नष्ट कर दिया. हालांकि, कुछ मिसाइलें और ड्रोन रेजिडेंशियल इलाकों में गिरे, जिससे 24 से अधिक लोगों की मौत और 200 से ज्यादा घायल होने की खबर आई है. हालांकि, इजरायल की सैन्य ताकत पर कोई खास असर नहीं पड़ा. न तो उनका कोई बड़ा सैन्य ठिकाना नष्ट हुआ और न ही उनके आधुनिक लड़ाकू विमान या परमाणु संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचा.
किसको ज्यादा नुकसान हुआ?
इन 10 दिनों की लड़ाई में ईरान को भारी नुकसान हुआ है. उसकी परमाणु परियोजनाएं प्रभावित हुईं तो मानव संसाधन और सैन्य प्रतिष्ठानों पर भी गहरा असर पड़ा है. इजरायल को भी नुकसान झेलना पड़ा, लेकिन वह काफी हद तक सीमित और नागरिक स्तर पर रहा. इस युद्ध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ हथियारों की संख्या ही नहीं, बल्कि उनकी तकनीकी क्षमता और बचाव प्रणाली भी निर्णायक होती है.
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