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इजरायल और ईरान एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए अपनी पूरी ताकत से जुटे हुए हैं. इसी बीच इजरायल ने ईरान पर एक बड़ा आरोप लगाया है, इजरायल ने कहा है कि ईरान ने उसके खिलाफ हमले के लिए क्लस्टर बम का उपयोग किया है. इजरायली दावों के लिए, ईरान की तरफ से ईरान की तरफ से 19 जून को जो मिसाइलें लॉन्च की गई गई थीं, उनमें से कम से कम एक मिसाइल के वॉरहेड में क्लस्टर बम था.
अगर इस बात में सच्चाई होती है तो यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होगा, क्योंकि क्लस्टर बमों के इस्तेमाल पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध है. हालांकि, कई देश ऐसे हैं, जिनका पास यह बम मौजदू है. चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर परमाणु बम से यह कितना खतरनाक है और इसपर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है.
कितना खतरनाक है क्लस्टर बम
क्लस्टर बम को लेकर पूरी दुनिया में विवाद रहा, जिसके परिणामस्वरूप इसको साल 2008 में एक संधि के तहत इस तरह के हथियार को प्रतिबंधित कर दिया गया. यह छोटे-छोटे बमों का समूह होता है, जब इनको दागा जाता है तो यह हवा में बंट जाते हैं और एक बड़े इलाके को आसानी से तबाह कर सकते हैं. इनको इसी हिसाब से बनाया गया था कि इससे एक बड़े इलाके को टारगेट किया जा सके. इन्हें विमानों, तोपखाने और मिसाइलों से छोड़ा जाता है और मुख्य तौर पर इससे इन्फेंट्री यूनिट या दुश्मन देश की सेना के किसी यूनिट या टुकड़ी को निशाना बनाया जाता है. हवा और जमीन दोनों जगह से दागे जाने की क्षमता के चलते इनकी तुलना परमाणु बम से की जाती है.
परमाणु बम एक पूरे शहर को तबाह करने की क्षमता रखते हैं तो क्लस्टर बम एक क्षेत्र में कई छोटे बम गिरते हैं, इनसे तबाही तो सीमित होती है, लेकिन असर का क्षेत्र अधिक होता है. परमाणु बम की तबाही का रेडियस 5 से 10 किलोमीटर तक होता है, कलस्टर का दायरा 1 से 2 किलोमीटर के भीतर सैकड़ों धमाके के साथ होता है. परमाणु बम का यूज हिरोशिमा और नागासाकी में ही किया गया है, लेकिन क्लस्टर बम का उपयोग दुनिया के कई देशों और कई जंगों में किया जा चुका है. कलस्टर बम कभी-कभी उस समय नहीं फटते हैं, समय के समय दबे रहने के बाद कभी भी ये अचानक फट सकते हैं, इससे उस इलाके में भारी तबाही होती है.
किन देशों के पास क्लस्टर बम
साल 2008 में डबलिन के अंदर कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन नाम से अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत इसे रखने, बेचने और इस्तेमाल करने पर रोक लगाई गई थी. हालांकि, इसमें शामिल देश इस नियम को मानेंगे या नहीं मानेंगे इसके लिए उनको बाध्य नहीं किया जा सकता है. अब तक इस संधि पर 108 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं. दूसरी तरफ कुछ ऐसे देश हैं जिन्होंने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है, जिसमें भारत, रूस, अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और इजरायल शामिल थे. nternational Committee of the Red Cross के अनुसार, दुनिया में कम से कम 75 ऐसे देश हैं जिनके पास अभी क्लस्टर बम किसी न किसी तरीके से मौजूद हैं. वहीं, 34 देशों ने अलग अलग तरीके से क्लस्टर बम से जुड़े हथियार बनाए हैं.
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