Why Muslim husband and wife sleep in same room for 30 days after divorce Know reason

इस्लाम में तलाक को लेकर कई तरह के नियम व कायदे बनाए गए हैं, जिनका पालन करना हर मुस्लिम का कर्तव्य होता है. भले ही तीन तलाक को भारत में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है, लेकिन अभी भी बहुत से तलाक मुस्लिम समाज में प्रचलन में हैं. क्या आप जानते हैं कि मुस्लिम समाज में तलाक लेने के बाद पति-पत्नी 30 दिनों तक एक ही कमरे में सोते हैं? चलिए जानते हैं ऐसा क्यों होता है.
इद्दत से जुड़ा है नियम
इस्लाम धर्म में तलाक से जुड़ी एक प्रक्रिया है इद्दत. इसका पालन करना हर मुस्लिम महिला के लिए अनिवार्य होता है. यह एक तरह का वेटिंग पीरियड है जो आमतौर पर पति की मृत्यु या फिर तलाक के बाद शुरू होता है और दोनों ही मामलों में इद्दत के दिन अलग-अलग होते हैं. अगर किसी मुस्लिम महिला के पति की मौत हो जाती है तो उसे 4 महीने 10 दिन इद्दत की अवधि निभानी होती है. तलाक में यह अवधि तीन महीने की होती है. इसी इद्दत की अवधि के दौरान पति-पत्नी तलाक के बावजूद 30 दिनों तक एक कमरे में ही सोते हैं.
क्या है 30 दिनों का नियम?
इस्लाम में पति-पत्नी के बीच तलाक होने के बाद पत्नी को इद्दत की अवधि का पालन करना होता है. यह अवधि तीन महीने की होती है और इस दौरान महिला किसी भी दूसरे पुरुष के साथ संबंध नहीं बना सकती है और न ही शादी कर सकती है. इद्दत की अवधि को पूरा किए बिना की गई शादी भी अवैध मानी जाती है. इसी अवधि के दौरान पति-पत्नी को 30 दिन एक साथ रहने की सलाह दी जाती है. हालांकि, यह एक सामाजिक नियम है, जो अनिवार्य नहीं है. इसका मकसद पति-पत्नी को अपने रिश्ते को दोबारा शुरू करने के लिए एक मौका देना है. 30 दिन की अवधि के दौरान दोनों की सुलह हो सकती है.
क्यों जरूरी होती है इद्दत?
इद्दत की अवधि का पालन करना यह भी सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि कहीं महिला प्रेग्नेंट तो नहीं है. इस अवधि के दौरान इसका पता चल जाता है और जब तक महिला बच्चे को जन्म नहीं दे देती, वह दूसरी शादी नहीं कर सकती है. वहीं, ऐसी महिला को बच्चे के जन्म के बाद इद्दत की अवधि पूरी करनी होती है.
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