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Yemen Faces Crisis While Neighboring Oman Thrives know the reason

यमन और ओमान दोनों ही देश पश्चिमी एशिया के देश हैं और अरेबियन पेनिनसुला में स्थित है. यमन के उत्तर में सऊदी अरब, पूर्व में ओमान, दक्षिण में अरब सागर और पश्चिम में लाल सागर है. ओमान और यमन का साइज और नैचुरल रिजर्व एक जैसा मिलता जुलता है. फिर भी यमन काफी गरीब देश माना जाता है और ओमान दुनिया के अमीर देशों की लिस्ट में शामिल है. चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर दोनों देशों के बीच इतनी असमानताएं क्यों हैं.

दोनों देशों के बीच इतना अंतर कैसे?

अगर दोनों देशों के बीच असमानताएं देखनी हैं तो इनका इतिहास देखना होगा. रिपोर्ट के अनुसार, 1970 तक यमन दो हिस्सों में बंटा था यमन अरब रिपब्लिक और पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ यमन बाद में फिर 1990 में दोनों देश फिर से एक हुए और फिर बना रिपब्लिक ऑफ यमन यानी यमन गणराज्य… साल 2011 में हुए अरब स्प्रिंग में यमन के अंदर काफी बड़े पैमाने पर विद्रोह हुए थे. यमन हूती विद्रोहियों के संकट से भी गुजर रहा है जिसकी स्थापना खुद यमन के 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह ने की थी.

2015 से सऊदी अरब ने हूतियों के खिलाफ सैन्य हस्तक्षेप शुरू किया था, जिसके बाद देश में स्थिति काफी बेकार हो गई थी. गृहयुद्ध की चपेट से गुजर रहे यमन में स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हैं, लाखों लोग घर छोड़कर दूसरे देश में चले गए हैं. खाने की कमी के चलते यहां के लोगों को तरह तरह की बीमारियां हैं. यमन में स्कूल, अस्पताल और जरूरी ढांचे की काफी कमी है. ओमान की तरह प्राकृतिक संसाधन मौजूद होने के बाद भी यमन में उसका सही से उपयोग नहीं हो सका. 

कहां-कहां अंतर?

ओमान में सत्ता के लिए लड़ाई नहीं है, यहां 1970 के बाद सुल्तान काबूस ने शासन संभाला और देश को स्थिर नेतृत्व मिला था. वहीं दूसरी तरफ यमन में कई दशकों तक राजनीतिक उथल पुथल मची रही 2014 से गृहयुद्ध चल रहा है, जिसमें अलग-अलग पक्ष शामिल हैं. ओमान में पिछले 300 सालों से एक ही परिवार का राज है, लेकिन वहां के राजाओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश गया. वहीं दूसरी तरफ खुद को लोकतांत्रिक देश कहने वाले यमन में भ्रष्टाचार, कबिलाई राजनीति और कमजोर प्रशासन देश को गर्त में धकेल दिया.

ओमान ने तेल पर निर्भरता कम करने के लिए पर्यटन, लॉजिस्टिक्स और मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान दिया जबकि यमन पूरी तरह केवल तेल और रेमिटेंस पर निर्भर रहा और युद्ध के चलते उसका भी सही से यूज नहीं किया गया. यही सब कारण था कि ओमान आज तरक्की की राह पर है जबकि यमन युद्ध का अखाड़ा बना हुआ है. 

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